अगले दिन करीब ग्यारह बजे एक पुलिस की गाड़ी बालिका सदन के सामने आकर रुकी, गाड़ी से एक लेडी इन्सपेक्टर, दो लेडी कान्स्टेबल और दो अन्य कान्स्टेबल उतरे और सदन के अंदर चले गये।
पुलिस वालों को देख कर ऊषादेवी चौंक गयीं, “आप लोग यहाँ किसलिये आये हैं,” उन्होंने तीखे स्वर में पूछा।
हम आपके सदन की तलाशी लेना चाहते हैं, ये रहा कोर्ट का सर्च वारंट।
“लेकिन किसलिये तलाशी लेना चाहते हैं,”ऊषादेवी ने हिचकिचाते हुए कहा।
“हमें पता चला है कि आपने किसी लड़की को जबरन रखा हुआ है,” इन्सपेक्टर ने बेरुखी से कहा।
“आपको किसी ने गलत खबर दी है मैडम,” ऊषादेवी ने समझाने की कोशिश की।
“तलाशी के बाद सब पता चल जायेगा,” इन्सपेक्टर ने कठोर आवाज में कहा,”चलो तुम लोग कमरों की अच्छी तरह से तलाशी लो।”
इरा भी आ चुकी थी और बाहर गाड़ी में बैठी थी।
सभी कमरों की तलाशी के बाद भी मीरा का पता नहीं चला, पुलिस वाले निराश होकर बाहर जाने लगे, कान्स्टेबल राधा जब इधर उधर देख रही थी, उसकी नजर स्टोररूम पर पड़ी, उसने देखा दरवाज़े पर बड़ा सा ताला लटक रहा था, ये देखकर राधा ने ऊषादेवी से पूछा, “ये कैसा कमरा है, आपने ये तो हमें नहीं दिखाया”
ऊषादेवी ने कहा,”ये तो स्टोररुम है, पुराना सामान रखा है।”
इन्सपेक्टर ने कहा, “इसकी चाभी मंगवाओ, जरा इसे भी चेक करते हैं।”
ऊषादेवी ने कहा, “यहाँ कुछ भी ऐसा नहीं है, काफी समय से यहाँ सफाई भी नहीं हुई है गन्दा पड़ा है।”
“कोई बात नहीं, हम लोग बस एकबार चेक कर लेते हैं, आप ताला खुलवाए।”
“लेकिन…” ऊषादेवी ने कुछ कहने की कोशिश की।
इन्सपेक्टर मैडम ने अपने साथ आये पुलिस वालों से कहा, “चलो यहां भी चेक कर लो।”
स्टोररुम खुलवाया गया अंदर टूटा फूटा सामान पड़ा था, सारे कमरे में सीलन भरी गंध भरी थी कमरे की छत से एक बिजली का बल्ब लटक रहा था जिसकी पीली रोशनी कमरे में थी, एक तरफ एक पानी का जग रखा था पास ही एक अल्मुनियम की प्लेट पड़ी थी जिसमें एक सूखी रोटी पड़ी थी।
दूसरे कोने में एक चटाई पड़ी थी, जिस पर एक कंकाल सी लड़की पड़ी थी, उनसब को देखकर लड़की ने उठने की कोशिश की, राधा ने आगे बढ़कर उसे सहारा दे कर बैठा दिया ।
इन्सपेक्टर ने पूछा, “मीरा …?”
लड़की ने धीरे से सिर हिला दिया।