इरा जब घर पहुंची तो धनंजय घर पर ही था। इरा ने धनंजय को घर पर ही देखकर कहा, “अरे तुम कोर्ट नहीं गये”
धनंजय ने उसकी बात पर ध्यान न देते हुये पूछा, “क्या हुआ तुम मीरा से मिली”
इरा ने उसे सारी बातें विस्तार पूर्वक बताई और कहा, “मुझे समझ नहीं आ रहा, कि मिसेज गुप्ता ने ऐसा क्यों किया”
“वो नहीं चाहती होगीं कि मीरा उनके साथ रहे और हो सकता है सच में कोई मीरा की कोई रिश्तेदार ही उसे वहां छोड़ गई हो।”
“लेकिन अगर कोई रिश्तेदार है तो वो मीरा को ले जायेगी तो अपने साथ ले जाती अगर उसे मीरा को वहां छोड़ना था तो ले क्यों गई वो तो गुप्ता जी के यहां रह रही थी और फिर इतने सालों से कभी कोई उससे न तो मिलने आया न ही किसी ने कोई संपर्क किया,” इरा ने सोचते हुये कहा।
“बात तो तुम्हारी ठीक है, लेकिन सच तो मीरा ही बता सकती है,” धनंजय ने कहा।
“हां, पर मुझे बताओ कि मीरा को वहां से कैसे निकालना है, क्योंकि ऑन रिकॉर्ड तो मीरा वहां नही है”
“हमें पुलिस की मदद लेनी होगी,” धनंजय ने कहा।
“लेकिन क्या पुलिस को इन सब में शामिल करना सही ह़ोगा?”
“तुम ही बताओ, जब तुम वहां गयीं तो किसी ने मीरा के बारे में नहीं बताया तुम्हें भी मीरा के बारे में इत्तफाक से पता चल गया,” धनंजय ने समझाया, “और वहाँ के स्टाफ को भी मीरा के बारे में बात करने से मना किया हुआ है तो क्या हमारे कहने या पूछने से वो मानेंगे कि मीरा वहां है और ज्यादा पूछताछ करने पर उन्होंने मीरा को कहीं और छुपा दिया तो मीरा का पता नहीं चलेगा सिर्फ पुलिस ही ये काम कर सकती है।”
“लेकिन हम पुलिस वालों को क्या कहेंगे,” इरा ने शंका जाहिर की
“मेरा एक दोस्त है जो पुलिस कमिश्नर है हमें उसे सब बताना होगा।”
“ठीक है,हमें जल्दी ही कुछ करना होगा पता नहीं मीरा किस हाल में होगी” इरा ने चिंता जताई।
“मैं आज शाम ही उसे मिलता हूँ,” धनंजय ने कहा।
इरा पूरे दिन बेचैन रही कभी उसे लगता कहीं पुलिस के कारण कुछ गड़बड़ तो नहीं होगी, कभी सोचती पुलिस के कारण कोई ठोस कदम उठा सकते हैं।
इरा अंदर बाहर चक्कर काट रही थी रात के नौ बज गये थे अभी तक धनंजय घर नहीं आया था।