मीरा – 2

“लेकिन मालकिन…”, गिरधारी ने कुछ कहने की कोशिश की, लेकिन विमलादेवी सुरेंद्र का हाथ पकड़ कर कमरे में चली गयीं।

    शाम को जब बलराम गुप्ता घर आये तो लतिका ने सुबह की सारी घटना विस्तार से बता दी,जिसे सुनकर बलराम गुप्ता क्रोधित हो उठे, गरजते हुये उन्होंने गिरधारी को आवाज लगाई, गिरधारी सहमा
सामने आकर खड़ा हो गया ।
 
“कहाँ है ,मीरा?” गुस्से में भरे हुये उन्होंने पूछा

“जी, वो स्टोररूम में, मालकिन ने कहा ….।”

तेजी से लपकते हुये गुप्ता जी स्टोररूम में पहुंचे अन्दर जाकर देखा बच्ची दीवार के पास लेटी हुई थी आंखों से आंसू बहकर गालों पर सूख गये थे, हाथों और चेहरे पर खून की लकीरें बनी थी, बच्ची की हालत देखकर उनकी आंखें भर आयीं, झुक कर उन्होंने बच्ची को उठाया और अपने कमरे में ले आये डाक्टर को फोन कर उन्होंने सोमी को बुलाकर मीरा के कपड़ें बदलने को कहा, बच्ची का शरीर बुखार से तप रहा था।
  डाक्टर के आने की खबर सुनकर विमलादेवी आईं तो पीछे पीछे सुरेंद्र भी चला आया और शिकायती लहज़े में पिता से बोला “पिताजी ये लड़की..”, परन्तु पिता की कड़ी नज़र देख कर चुप हो गया।

विमलादेवी ने कुछ कहना चाहा परन्तु पति का रुख़ देखकर बाहर चली गयीं।
           सप्ताह भर बाद दोनों बच्चियाँ सुबह सुबह ही तैयार हो गयीँ, विमलादेवी ने कहा, “आज बड़ी जल्दी तैयार हो गयीं तुम दोनों, क्या बात है?”

   लतिका खुश होकर बोली, “अब मैं और मीरा दीदी  होस्टल में रहेंगे, पिताजी ने कहा है”
    विमलादेवी ने प्रश्नवाचक नजरों से पति की तरफ देखा, लेकिन गुप्ता जी बिना कुछ कहे लड़कियों के पीछे चले गये।

  भौचक्की विमलादेवी वहीं खड़ी रह गयीं।

Advertisement

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s