इरा का पूरा दिन बेहद तनाव में गुजरा ,मीरा के मिलते ही उसे हॉस्पिटल ले जाया गया और ऊषादेवी को पुलिस ने अरेस्ट कर लिया था। पूछताछ के दौरान ऊषादेवी ने बताया कि मीरा की रिश्तेदार उसे छोड़कर गई थी ,वो हर महीने कुछ रूपये देतीं थी कि मीरा के बारे में किसी को पता न चले। इससे ज्यादा ऊषादेवी को कुछ जानकारी नहीं थी।
विमलादेवी का नाम नहीं आया था लेकिन इरा धनंजय और लतिका जानते थे कि ये सब विमलादेवी का ही किया हुआ था ,फिर भी विमलादेवी से किसी ने कोई बात नहीं की।
मीरा के बारे में पता चलते ही लतिका फौरन ही आ गई थी इरा और लतिका पूरी रात हॉस्पिटल में रहे,लतिका सदमें में थी अपनी मां का ये रूप उसे डराने वाला लग रहा था ,मां इस हद तक जा सकती थी वो ये सोच भी नहीं सकती थी।
धीरे धीरे मीरा स्वस्थ हो रही थी लतिका ज्यादातर मीरा के साथ ही रहती थी लतिका ने कई बार मीरा से सारी बातें जानने की कोशिश की पर मीरा ने कहा,वो अब उन बातों के बारे में सोचना भी नहीं चाहती।
मीरा को लगभग एक महीना लग गया ठीक होने में।इरा मीरा को अपने घर ले आई थी और लतिका भी ज्यादातर मीरा के साथ रहती थी,
लतिका मीरा को अपनी सगी बहन की तरह प्यार करती थी।इरा और धनंजय दोनों बेहद खुश थे मीरा और लतिका के कारण घर गुलज़ार रहता था।
मीरा ने कुछ दिनों बाद बताया था कि सुरेंद्र और विमलादेवी उसे बालिका सदन छोड़ आये थे और ऐसा इन्तजाम किया था कि किसी को भी पता न चले कि मीरा थी कहाँ ? वो तो सरिता ने उसकी मदद की वरना किसी को पता नहीं चलता वो कहाँ थी।
धनंजय और मीरा दोनों ही मीरा को अपने साथ रखना चाहते थे लतिका को भी यही ठीक लगा और मीरा के लिए भी यही ठीक था।इरा ने मीरा से कहा ,अब तुम अपनी एजूकेशन के बारे में सोचो ,क्या करना चाहती हो।
कॉलेज खुलते ही मीरा और लतिका ने एडमिशन ले लिया और साथ ही कॉलेज जाने लगी।मीरा के मन से धीरे धीरे बालिका सदन की भयावह यादें भी मिटने लगीं।
धनंजय और इरा मीरा और लतिका को अपनी बेटियों की तरह प्यार करते थे और वे दोनों भी उन्हें माता पिता का सम्मान देती थीं।
विमला देवी को सब कुछ पता चल गया था लेकिन उन्होंने चुप्पी साध ली थी ।